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Vivek Kautilya

@vivek_kautilya

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When I saw the real world I wrote स्वरूप में सरल, तरल, गरल, कठोर हूं सदा पुकार पर डिपेंड करती है मेरी विभिन्नता, मैं शब्द की कठोरता कभी मै क्षीण क्षीण हूं, मैं शून्य से अनन्त तक की यात्रा में लीन हूं........ I'm, मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे न च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥ I am not the mind, the intellect, the ego or the memory, I am not the ears, the skin, the nose or the eyes, I am not space, not earth, not fire, water or wind, I am the form of consciousness and bliss, I am the eternal Shiva... - Shankaracharya What do I Think, समस्या एक मेरे सभ्य नगरों और ग्रामों में सभी मानव सुखी सुंदर व शोषणमुक्त कब होंगे ? - मुक्तिबोध Miracle, तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे महसूस हुआ है कि हर बात का एक मतलब होता है, यहाँ तक कि घास के हिलने का भी, तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे लगा है कि हम असमर्थताओं से नहीं संभावनाओं से घिरे हैं, सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है, जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है वह नियति की नहीं मेरी है। - Sarweshwar Dayal Saxena YouTube - Vivek Kautilya 🇮🇳