सूर्यप्रताप स्वतंत्र
@poetrywithsurya
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"हम जिंदा रहते तो उन्हें याद आते। हम जिन्हें याद कर कर के मर गए।" एक ग़ज़ल से एक मतला और एक शेर यक़ीं मानों हमेशा ही , मज़ा आया फ़क़ीरी में। फ़क़ीरी मे मज़ा जो है , नहीं यारों अमीरी मे। नहीं जाना किसी के पास तुम ज्यादा मेरे यारों। बनाकर के हि तुम रखना कि दूरी भी करीबी में। ~सूर्यप्रताप सिंह
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