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Arun Mishra

@kitaabgoi

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जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे मैं उनसे मिलने उनके पास चला जाऊँगा। एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घर नदी जैसे लोगों से मिलने नदी किनारे जाऊँगा कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा पहाड़, टीले, चट्टानें, तालाब असंख्य पेड़ खेत कभी नहीं आयेंगे मेरे घर खेत खलिहानों जैसे लोगों से मिलने गाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा। - विनोद कुमार शुक्ल सत्यान्वेषी | कहानियों, कविताओं का शगल | किताबों से इश्क़ | संगीत, कला, रंगमंच को समझने की चाह | पेशे से IT Consultant | इन जगहों पर रहा हूँ :- Dusseldorf, 🇩🇪 |Bonn, 🇩🇪| Copenhagen, 🇩🇰| Amsterdam,🇳🇱| पुणे,🇮🇳|लखनऊ (घर ❤), 🇮🇳 अभी पढ़ रहा हूँ (Current reads) :- 🌸 मानस का हँस - अमृतलाल नागर 🌸 DO EPIC SHIT - Ankur Warikoo बाकी किताबें मेरे Instagram पर