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Inam Jamil (انعام جمیل)

@kalam_e_inam

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Shayari* | Teaching | Mathematics | NIT | Bihar Lived in Cities; *Khagaria | Patna | Jamshedpur | Bhubaneswar | Srinagar Varanasi | Delhi | Ghaziabad | Rewari *Shayari से शगफ है Shayar नहीं हूँ, कुछ 100 साल और दें मुझे Shayar होने के लिए। * Khagaria, my hometown in Bihar • مصور جو کاغذ پہ چڑیا بناۓ ہے لازم کہ اس میں وہ آواز ڈالے मुसव्विर जो काग़ज़ पे चिड़िया बनाए है लाज़िम कि उसमें वो आवाज़ डाले • اور کوئی در تخیل کے کھلیں یار کو ٹوپی مجھے زنار دے और कोई दर तख़य्युल के खुलें यार को टोपी मुझे ज़ुन्नार दे • لہو رگوں کا نچوڑ کر ہی بچاؤں لالی لبوں کی تیری میں قطرہ قطرہ بہا چکا ہوں کہ جام یکتا بنا رہا ہوں लहू रगों का निचोड़ कर ही बचाऊँ लाली लबों की तेरी मैं क़तरा-क़तरा बहा चुका हूँ, के जाम यकता बना रहा हूँ • جل سے باہر چھٹپٹاتی مچھلی کو میں دیکھتا سوچتا ہوں زور حسرت اور کتنی دیر ہے जल से बाहर छटपटाती मछली को मैं देखता सोचता हूँ ज़ोर-ए-हसरत और कितनी देर है • ان چراغوں سے ذرا تیل نکالوں تو دکھے ایسی حیرت کہ ہوا سے نہ سنبھالی جائے इन चराग़ों से ज़रा तेल निकालूं तो दिखे ऐसी है़रत कि हवा से न संभाली जाए • لکھ نہ پاؤں میں جو وہ گزری ہے مجھ پر لے مری آنکھیں اسی دیوان میں رکھ लिख न पाऊँ मैं जो वो गुज़री है मुझ पर ले मिरी आँखें आँखें इसी दीवान में रख ~ Inam Jamil