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Ambrish Thakur

@coolambrish

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बस यही आख़िरी किस्सा है सुनाने के लिए, कुछ तेरे बाद न बाकी है बताने के लिए ।। ख़्वाब आँखों को तरसते हैं सुबह होने तक, याद पलकों पे टहलती है जगाने के लिए।। - @mbr!sh ******* A Marketing Professional |Fond of Poetry | By heart Lakhnavi ❣️ ...ऐ शहर-ए- लखनऊ!! फिर कब मिलेगा तू ❣️❣️❣️

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