Clubhouse logo

Abidali Karediya

@abidalikarediya

9

friends

Journalist Poetry Business वफ़ा कर के दग़ा देना हमे नही आता हम तो अहले-ए-ज़र्फ है हमे क्या नही आता मोहब्बत तो एक हसीन संगम है हमे जो रुला दे वो प्यार नही आता हम तो साक़ी-ए-कौसर के दीवाने है ज़ुल्म जैसे भी हो हमे मुकरना नही आता इमाम ए ज़माने के तरफदार हम ही है "आबिद" अल्फ़ाज़ बदल कर इल्ज़ाम लगाना हमे नही आता 📍 Palanpur (Gujarat)